आध्यात्म क्या सच में आप पूजा से ईश्वर के करीब जा सकते है By RPS Posted on June 7, 2018 2 second read 0 0 295 Share on Facebook Share on Twitter Share on Google+ Share on Reddit Share on Pinterest Share on Linkedin Share on Tumblr हमारे हिन्दू धर्म में एक बात कही गई है की अंत में आपको ईश्वर के पास जाना है| आप ईश्वर के पास पहुच जाए और आपको वहां यातनाये ना सहनी पड़ी इसके लिए आपको यहाँ यानी की जीते जीते भगवान् की पूजा करनी चहिये| पूजा करने से आप भगवान् के करीब जायेगे और आप दोनों का लगाव एक दूसरे के प्रति बढ़ता चला जाएगा| इससे भागवान खुश होते है| लेकिन कभी क्या किसी ने तथ्य के साथ इसकी बात की कि आप पूजा करेगे तो ईश्वर के करीब जायेगे| कितनी सच है ये बात- वैसे आज के ढोंगी समाज में ये बात शत प्रतिशत सही है| आज आप एक ऐसे समाज में जी रहे है जहाँ आपको पूजा और आस्था के नाम पर भी छला जा रहा है और यह अब केवल कुछ लोगो के पैसे कमाने का जरिया बना हुआ है और वो आपको क्या करीब ले जायेगे| आप खूब पूजा करते है लेकिन आप वो नहीं सुनते की भगवान् क्या कहते है और अगर आप वो नहीं सुनते जो भगवान् कहते है तो आपके पूजा करने का मतलब क्या| अगर आप पूजा करते है तो आपने गीता पढ़ी होगी और उसमे लिखा ही नहीं है की मेरी पूजा करो या मूर्ति के सामने पागलो की तरह बैठे रहो| उसमे लिखा है की कर्म ही पूजा है| जो काम तुम करते हो उसे इतसे मन से करने लग जाओ उसमे ऐसा डूब जाओ की तुम्हे संतुष्टि मिले और वही संतुष्टि भगवान् की प्राप्ति है| आप पूजा करने में जितना समय लगाते है आप उतना समय किसी गरीब की सेवा या फिर अपने कर्म को करने में लगाये तो आप ईश्वर के करीब जायेगे| और अगर हिन्दू मान्यताओ के अनुसार एक दिन आप भगवान् के पास पहुचे तो आप कह सकेगे की मैंने वही किया है वो शास्त्र कहता है और मानिने आपकी नहीं बल्कि अपने कर्म की पूजा करो | पूजा आपको कमजोर बनाती है- आपको ये बात भी समझनी होगी की पूजा आपको कमजोर बनाती है| जब आप पूजा करते है और ईश्वर से मागना शुरू करते है तो आप केवल एक भिखारी बन जाते है| पूजा करने का आपका उद्देश्य होता है की भगवान् आपको कुछ देदे या आपका अगला जीवन बना दे या फिर आपके घर में चल रही समस्या ठीक कर दे या फिर कोई नयी समस्या ना आये| इन सभी बातो में आप केवल भगवान् से माग रहे है और ऐसे में आप खुद कमजोर होते चले जाते है| आपकी कर्मशीलता खत्म होने लग जाती है और निर्भरता सामने आने लग जाती है| आप हर बात को पूजा के माध्यम से लेने का प्रयास करते हो और आपको लगता है की पूजा से मिल जाएगा| पूजा नहीं तो क्या- पूजा करना सिर्फ ये नहीं है की आप सुबह से शाम बैठे रहे और ईश्वर के करीब जाने से सपने देखे| पूजा का अर्थ है की अपने कर्म को धार दे, आपके स्वभाव को निखार दे जोकि आपको एक अच्छे इंसान के रूप में लेकर सामने आये ना की कमजोर इन्सान बनाये|